गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010

शहीद-ए-वफ़ा


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पिघलती है
औ' जलती है
कतरा कतरा
शब् भर
शमा
इश्क के
इंतज़ार में...
फ़ना
लम्हे में
हो कर
कहलाता
शहीद-ए-वफ़ा
परवाना
इस
प्यार में ...

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