रविवार, 22 अगस्त 2010

बार-बार (आशु रचना )

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आती है सदा तेरी
बार -बार ...

पुकारती है रूह मेरी
बार बार ..

बढती हूँ जानिब तेरी
बार -बार ...

उलझती हैं बेडियाँ मेरी
बार -बार ..


तोड़ कर बंधन सारे
चली आउंगी पास तेरे
एक बार .......

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