सोमवार, 14 जून 2010

छद्म प्रभुता ...

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प्रभुता स्वयं की
सिद्ध करने को
हीन कहा
दूजे को तूने

गिरा किसी को
सोचा ,पहुंचूं ,
आस्मां को
लगूं मैं छूने

पर उत्थान
स्वयं
का होता
जब शक्ति
होती
निज मन में

उपक्रम हो
आगे बढ़ने का
सजग
दृष्टि से
इस
जीवन में

4 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी सीख देती रचना....

    मंगलवार 15- 06- 2010 को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है


    http://charchamanch.blogspot.com/

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  2. सच कहा ... उपर उठने की लिए दूसरे को दबाना हीनता है ....

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