बुधवार, 10 मार्च 2010

चादर बर्फ की

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दबा के लावा
दिल की
गहराईयों में,
ओढ़ ली
बर्फ की
चादर तूने ..
हलचल
धरती की
परतों की ,
कर जाती है'
उद्वेलित
लावे को
जिसकी
तपिश से
पिघलना चाहती
है वो बर्फ
जो जमा ली है
बरसों से
मन की सतह
पर तूने
दे दे रास्ता
उस लावे को
निकलने का..
महसूस होगी
शीतलता
बर्फ की
तभी
अंतस में..

3 टिप्‍पणियां:

  1. दे दे रास्ता
    उस लावे को
    निकलने का..nice

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  2. Hi..
    Man ka dard na man main rakhkar..
    Gar usko kah daaloge ..
    Sheetalta ek baraf ke jaisi..
    Aap swatah hi paa loge..

    Antarman main dard chhupaye,
    jo bhi aksaar rakhta hai..
    Ek din to visfot hai hota..
    Jwalamukhi sa fatta hai..

    Aisi naubat aane na den..
    Dil main dard samaane na den..
    Khushi ke pal do pal bhi khud se..
    Door kabhi bhi jaane na den..

    DEEPAK SHUKLA..

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