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आँख में कुछ छुपी नमी है क्या
कोई ख्वाहिश सी फिर पली है क्या .....
ऊंचा उड़ने से पहले देख तो ले
तेरे कदमों तले ज़मीं है क्या .......
दावा उनका फ़कीर होने का
दिल में हसरत कोई दबी है क्या......
रिन्द बैठा लिए ख़ाली प्याला
तुझ सी साकी नहीं मिली है क्या......
तेरे आने की मुन्तज़िर हो के
साँस थम थम के फिर चली है क्या......
भँवरे के छूने से खिली है कली
घड़ी बिरहा की फिर टली है क्या .......
सुबह दस्तक सी दे रही शायद
रात तेरे बिन कभी ढली है क्या ........
आईना देख कर अना मेरी
चूर अब भी नहीं हुई है क्या.......
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 21 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंवाह हर शेर लाजवाब !!
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