शनिवार, 19 नवंबर 2022

कभी ना बिछड़ने के लिए .....


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मूँदते ही पलक

खिल उठते हैं 

गुलाबी फूलों से सपने 

मदिर मधुर एहसास 

होने का तेरे

उतर आता है

वजूद में मेरे

हो जाती हूँ मैं खुद

चमन ही

होती है जब महसूस 

तितलियों सी कोमल

छुअन तेरी....


कुछ बेरंग फूल भी हैं 

मेरे अहम और गैर महफ़ूज़ियत के

जो हो रहे हैं रँगीं 

पा कर हर लम्हा

दिलो ज़ेहन में तुझको 

बेमानी हैं सरहदें और दूरियां

बिखरा है रंगे मोहब्बत हरसू 

घुल कर जिसमें 

हो गए हैं हम एक 

कायनात से

ख़ुदा से 

और

खुद से 

मिल गए हैं फिर

कभी ना बिछड़ने के लिए ....

9 टिप्‍पणियां:

  1. हो गए हैं हम एक

    कायनात से

    ख़ुदा से

    और

    खुद से

    मिल गए हैं फिर

    कभी ना बिछड़ने के लिए ....
    सुंदर सृजन , आदरणीय ।

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  2. बहुत सुन्दर ! प्रेम में तो खुद को खो कर ही किसी को पाया जा सकता है.

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