मन के भावों को यथावत लिख देने के लिए और संचित करने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत हुई...स्वयं की खोज की यात्रा में मिला एक बेहतरीन पड़ाव है यह..
महफ़िल में अपने आने से इक नया रंग आएगा
तुझमें रह जाऊंगी मैं, कुछ तू मेरे संग आएगा
लिख दी है हर नफ़स ,मैंने तो अब नाम तेरे
शायद तुझको भी कभी आशिकी का ढंग आएगा
जी नमस्ते ,आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२२-०४ -२०२२ ) को 'चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैं'(चर्चा अंक-४४०८) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है। सादर
बहुत खूब....सादर
एक साथ चलते-चलते आशिकी का ढंग आ ही जाता है बहुत खूब!
लिख दी है हर नफ़स ,मैंने तो अब नाम तेरेशायद तुझको भी कभी आशिकी का ढंग आएगाबहुत खूब!--ब्रजेंद्रनाथ
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२२-०४ -२०२२ ) को
'चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैं'(चर्चा अंक-४४०८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत खूब....सादर
जवाब देंहटाएंएक साथ चलते-चलते आशिकी का ढंग आ ही जाता है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
लिख दी है हर नफ़स ,मैंने तो अब नाम तेरे
जवाब देंहटाएंशायद तुझको भी कभी आशिकी का ढंग आएगा
बहुत खूब!--ब्रजेंद्रनाथ