tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post4627077070108896731..comments2024-03-27T12:38:50.758+05:30Comments on एहसास अंतर्मन के: मृग-कस्तूरी वन वन.....मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-60102050256482427352012-03-21T14:20:11.452+05:302012-03-21T14:20:11.452+05:30मुदिताजी
होता है /जब बोध/सत्व का/तभी तरंगें /मिलत...मुदिताजी<br /><br />होता है /जब बोध/सत्व का/तभी तरंगें /मिलती,<br />क्यूँ ढूंढें/अपने सौरभ को/मृग-कस्तूरी /वन वन ?<br /><br />बहुत सटीक लिखा है आपने...स्वयं के सत्व के बोध से स्वयं को जान पाते हैं और प्रेम में अंतरंगता तब आती है जब हम दूजे के सत्व का बोध कर पाते हैं और उसे छू पाते हैं. यह सत्व की छुअन अदृश्य सी होती है...कभी कभी तो इतनी नैसर्गिक, इतनी सहज कि उसके घटित होने का अन्दाज़ ही नहीं हो पाता..... और जब हमारा सत्व अस्तित्व के सत्व को स्पर्श कर पता है तो घटित होते हैं मैत्री और करुणा भाव......अर्थात प्रेम से भी बढ़ कर. <br /><br />क्या चातक की अनुभूति इन्द्र धनुष की सुन्दरता पर निर्भर करती है ? क्या कोयल के कंठ विलास पर बसंत का आगमन निर्भर है ? कलियों का खिलना, मुस्काना क्या भंवरों की आतुरता के विभ्रम के कारण है, यह आतुरता तो ह़र वक़्त होती है, असमय तो नहीं खिलती कलियाँ ? चातक की अनुभूति, बसंत का पधारना कलियों का महकना...इसी सत्व के बोध के कारण होते हैं. <br /><br />बड़े बारीक दर्शन को व्यक्त कर रही है रचना.Vineshhttps://www.blogger.com/profile/17691475848432147398noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-18425113767620623972012-03-21T13:15:48.540+05:302012-03-21T13:15:48.540+05:30हर बादल की
शोख अदाएं
ला सकती
क्या सावन ..?
.......हर बादल की <br />शोख अदाएं <br />ला सकती <br />क्या सावन ..?<br />....<br />क्यूँ ढूंढें <br />अपने सौरभ को <br />मृग-कस्तूरी <br />वन वन ? <br /><br />:)..जैसे हर मेघ सावन के नहीं होते वैसे ही हर मृग में कस्तूरी कहाँ होती है ..कस्तूरी मृग तो विरले ही होते हैं... आप जैसे !आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-88765093095791085562012-03-21T12:31:49.740+05:302012-03-21T12:31:49.740+05:30कस्तूरी की चाह ही ऐसी होती है।कस्तूरी की चाह ही ऐसी होती है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com