मंगलवार, 20 जुलाई 2021

सावन.

 

प्रारंभ  सावन का 
उभार देता है 
एक गीत  हृदय के 
अंतरतम तल में, 
जुबां तक आते आते
कर जाता है अवरुद्ध
कण्ठ को ,
बजाय प्रस्फुटित होने 
अधरों से 
बहने लगते है बोल 
नयनों से मेरे......

"अब के बरस भेज 
भैया को बाबुल
सावन में लीजो
बुलाय रे........"

कौन बुलाये 
अब सावन में 
नैहर ही जब 
छूट गया है 
देह छोड़ने संग 
बाबुल के 
रिश्ता सबसे 
टूट गया है ...

लगता है किन्तु 
ज्यूँ ही सावन 
चपल चपल 
हो उठता है मन,
खुश होता 
अल्हड किशोरी सा 
खिल खिलाता
चन्दा और चकोरी सा .......

वो आँगन में 
आम की शाख पे 
पड़े  झूले पर 
पींगे  बढ़ाना
हलकी रिमझिम की
फुहारों  में भीग 
सिहर सिहर जाना
पटरियों के जोड़े पर
सखियों संग 
उल्लास भरे 
गीत गाते 
ऊंचा  और ऊंचा 
उठते जाना ...

कल्पनाओं से निकल 
छलकते प्यार का 
सजीव हो जाना 
किसी साथी का गीत 
बरबस ही 
जुबान  पे आ जाना
"मेरी तान से ऊंचा  तेरा झूलना  गोरी ...."

मेहँदी की महक 
कोयल की चहक 
पायल की छन छन 
चूड़ियों की खन खन 
दुप्पटे की सरसराहट
दबी दबी खिलखिलाहट  
घेवर  की मिठास 
सखियों संग मृदुल हास 
आँखों में मदमाते सपने
पल पल साथ रहे थे अपने....

दिखता नहीं 
यह मंजर 
अब सावन के 
आने पर ,
गुज़र जाते हैं 
दिन यूँही 
बैठ यादों के 
मुहाने पर .....

भागती हुई 
ज़िन्दगी ने 
ठहरा दिया है 
उल्लास को 
प्रकृति ने भी 
छोड़ कर संतुलन 
चुन लिया है 
ह्रास को  ....

गुजरे सावन सूखा सूखा 
भीग नहीं पाता
अब तन मन,
रौद्र रूप 
अपनाए बारिश 
डूबे प्रलय में 
जनजीवन .......

हो जाएँ हम थोड़ा चेतन
लौटा लें फिर से वो सावन ....



8 टिप्‍पणियां:

Anupama Tripathi ने कहा…

कल्पना और यथार्थ का सुंदर सम्मिश्रण !सुंदर संदेशप्रद कविता !!

Anita ने कहा…

सुंदर बोध देती रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सावन याद आया । खूब झूलीं थीं ।
घेवर की याद आ रही । कितने सालों बाद तुमने ही खिलाया था । कोरोना ने घेवर भी मार दिया हमारा तो ।
बहुत भावपूर्ण लिखा ।👌👌👌👌👌

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल ने कहा…

मंत्रमुग्ध करती सजल कविता - - साधुवाद सह।

Manisha Goswami ने कहा…

दिखता नहीं
यह मंजर
अब सावन के
आने पर ,
गुज़र जाते हैं
दिन यूँही
बैठ यादों के
मुहाने पर .....
हर पंक्ति बहुत ही खूबसूरत और मंत्रमुग्ध करने वाली बहुत ही सुंदर रचना मैम

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना

PRAKRITI DARSHAN ने कहा…

गहनतम...।

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर रचना